Malware:- यह एक तरह का सॉफ्टवेयर ही है जिसे हम “malicious सॉफ्टवेयर” भी कहते है। इसका मुख्य काम सिस्टम व गैजेट्स को नुकसान पहुँचना व कंप्यूटर प्रोग्राम मे दिकत उत्तपन करना हैं। इस सॉफ्टवेयर को कुछ इस तरह से डिजाइन किया जाता है, ताकि हैकर्स कंप्यूटर पर किसी गोपनीय जानकारी, डेटा फाइल्स व पर्सनल डाटा को चोरी कर सके। कई Malware स्पैम ईमेल भेजने और कंप्यूटर पर अश्लील संदेश भेजने और प्राप्त करने का काम करते हैं।
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यह malware इतने खतरनाक है की हम अनुमान भी नहीं लगा सकते यह हमारे कंप्यूटर / सरवर व नेटवर्क इन सब को भी नुकशान पहुँचा सकते है। यह एंटीवायरस ऑनलाइन क्रियाओं के माध्यम से हमारे कंप्यूटर में प्रवेश करता है।
Types of Malware:-
Malware :- कई प्रकार के होते हैं जिसमें Computer virus, Spyware, Ransomware, Computer worms, Adware आदि शामिल है, यह इतना खतरनाक है – कि कंप्यूटर सिस्टम के कार्यों को यह धीरे धीरे धीमा करने लगता है। इसके बाद Computer System से जुड़े कई प्रकार की समस्याएं जैसे Data Loss और System Crashes आदि सामने आती है।
- Computer Virus:
Virus:- यह भी एक Malware है जिसका काम कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को नुकशान पहुँचना हैं वायरस जिसका फुल फॉर्म – (Vital information resource under seize) है, जिसके फाउंडर “Fred Cohen” है। यह खुद ब खुद रेप्लिकेट होता है बिना ह्यूमन इन्वोल्वेशन व क्लिक के, ज्यादा तर यह pendrive के समय होता है।
“Creeper” नाम का वायरस ऐसा पहला वायरस है जो ARPANET में 1970 में नेटवर्क पे फैला था, जैसे आज इंटरनेट पर काफी तरह के वायरस है, उसी तरह से US Military के लिए एक नेटवर्क बनाया गया था। जिसका नाम था ARPANET जिसका फुल फॉर्म है (Advanced Research Project Agency Network), तो इसी में यह नेटवर्क वायरस फैला था।
Computer Virus: कंप्यूटर मे फैलने वाला पहला वायरस “ALK Cloner” था जो की 1972 में फैला था। एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कोड है, जो कंप्यूटर में प्रवेश कर के उस डिवाइस के क्रियाकलापों में विभिन्न प्रकार के समस्याओं को उत्पन्न करता है। देखा जाए तो Computer Virus कंप्यूटर सिस्टम के लिए बेहद घातक होता है। इस सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की मदद से उपयोगकर्ता को पता भी नहीं चलता है और यह कंप्यूटर में पहुंचकर उसे संक्रमित कर देता है
Computer Virus हमारे कंप्यूटर सिस्टम के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है। देखा जाए तो यह वायरस कंप्यूटर के Hard Disk के Boot Sector में प्रवेश करके Hard Disk को भी नुकसान पहुंचाता है। यदि किसी भी सिस्टम में एक बार यह वायरस फैल जाता है तो उस डाटा को रिकवर कर पाना काफी मुश्किल होता है जो डाटा नष्ट हो चूका हैं।
2. Computer Worms:
यह एक malicious प्रोग्राम है। वॉरम काफी हद तक वायरस की तरह होता है, परन्तु, इनकी खास बात यह है की यह रेप्लिकेट होते है ( अर्थात अपनी कितनी भी कॉपी बना सकते है )। इसे फैलने के लिए किसी निर्देश की आवश्यवकता नहीं होती। यह कंप्यूटर में इंटरनेट सफ्रिंग, downloading व ईमेल के समय आ सकता हैं। वोर्म्स, कंप्यूटर में उपस्थित Random Access Memory (RAM) को घेर देता है। इसी कारण से कंप्यूटर की स्पीड कम होने लगती है और कंप्यूटर से जुडी हैंग होने की समस्या बढ़ जाती है।
3. Adware:
एक ऐसा सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन होता है। जो प्रोग्राम के रन पर उसमे एडवरटाइजिंग बैनर्स प्रदर्शित करता है। इसमें advertisement pop-up-window या बार के माधयम से यूजर इंटरफ़ेस में दिखाए जाते है। आमतौर पर adware computer के लिए बनाये जाते है, लेकिन ये एंड्राइड फ़ोन में देखने को मिलते है। यह वही विज्ञापन अथवा बैनर होते हैं जो फिल्म या वीडियो देखते समय हमें दिखते हैं और हमारे सामने ना चाहते हुए भी आ जाते हैं। देखा जाए तो यह सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन उपयोगकर्ता के कंप्यूटर पर किसी भी प्रकार का सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं करवाता है।
4. Ransomware:
एक ऐसा एडवांस्ड malware है, जो कंप्यूटर सिस्टम के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। यह एक बार सिस्टम में आ जाने के बाद, सिस्टम के सारे डेटा को एन्क्रिप्ट कर देता है। ( इस malicious software को कंप्यूटर को ब्लॉक करने के लिए डिज़ाइन किया गया हैं) यह डिवाइस में मौजूद डाटा फाइलों को एंक्रिप्ट करके उसे डिलीट करने की नोटिफिकेशन भेज सकता है।
इसे दूसरी तरफ हम कह सकते हैं कि यह धमकी के स्वरूप में उपयोगकर्ता या कंप्यूटर यूजर से पैसे चाहता है और कंप्यूटर उपयोगकर्ता से आर्थिक रूप से पैसे की फिरौती प्राप्त करने के लिए यह तरीका अपनाता है। और इन राशि का भुगतान वर्चुअल करेंसी व बिटकॉइन के जरिए किया जाता है।
5. Trojans Horse:
ट्रोजन एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम malware है जो एक फेक सॉफ्टवेयर के रूप में कंप्यूटर को इन्फेक्टेड कर देता है। ( अर्थात अक्सर जब हम कंप्यूटर पर इंटरनेट चला रहे होते है तो एक पॉप – मैसेज आता है की कंप्यूटर इन्फेक्टेड हो गया है, तो इस एंटीवायरस सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करे- ताकि सिस्टम को वायरस से प्रोटेक्टेड रखा जा सके )।
जो प्रारंभिक समय में कंप्यूटर यूजर को यह वादा करता है कि यह काफी उपयोगी और विश्वसनीय है लेकिन वास्तव में जब आप इसे प्रयोग करते हैं तब यह धोखे से किसी प्रकार कंप्यूटर में प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि यह फाइल के साथ-साथ Hard Disk Storage को भी हानि पहुंचाता है। कंप्यूटर के व्यक्तिगत और कुछ अनछुए जानकारियों को यह आपके कंप्यूटर से निकालकर अलग-अलग हैकर्स तक पहुंचाने में मदद करता है।
6. Spyware:
Spyware भी एक प्रकार का ऐसा मैलवेयर है, जिसका उदेश्य कंप्यूटर यूजर के विरुद्ध जासूस (spy) की तरह कार्य करना होता हैं, जो कंप्यूटर पर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करके विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को एकत्र कर सकता है। इसमें यह गुण भी पाए जाते हैं कि कंप्यूटर यूजर अथवा उपयोगकर्ता को बिना किसी जानकारी के यह कंप्यूटर सिस्टम में प्रवेश कर जाता है और डिवाइस को नुकशान भी करता है। अक्सर देखा जाता है कि कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं से इस बात की जानकारी छिपी होती है कि उनके कंप्यूटर में यह मैलवेयर उपस्थित है। गुप्त रूप से यह अन्य उपयोगकर्ताओं की जानकारी लेने के लिए भी उन पर निगरानी बनाए रखता है।
Malware Attack के महत्वपूर्ण कारण:-
इंटरनेट से की जाने वाली Downloading System से मैलवेयर का खतरा बना रहता है । Downloading के क्षेत्र में ज्यादा समय व्यतीत करने और paid video, film, song, को फ्री में डाउनलोड करने से भी आपके कंप्यूटर मैलवेयर का खतरा बढ़ता हैं।
कई बार हम अपने कंप्यूटर में रिमूवेबल डिवाइस भी रखते हैं, जिसके कारण भी Malware का खतरा बना रहता है। आपके सिस्टम के लिए कोई भी पेन ड्राइव या मेमोरी कार्ड तब खतरा उत्पन्न कर सकता है जब आपने इसे अपने कंप्यूटर सिस्टम में लगाया हो और उसमें पहले से वायरस मौजूद हो।
कैसे करें Malware से बचाव?
Malware एंटीवायरस से बचाव के लिए आप अपने कंप्यूटर या लैपटॉप पर Firewall इंस्टॉल कर सकते हैं(व ध्यान रखें कि Firewall को हमेशा ऑन रखें)। जो कंप्यूटर और इंटरनेट के बीच एक ऐसी दीवार बनकर कार्य करता है जो Malware से सुरक्षा प्रदान करता है।
विभिन्न प्रकार के गाने, फोटो और फिल्मों की डाउनलोडिंग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि, जिस वेबसाइट से डाउनलोड कर रहे हैं वह भरोसेमंद व जेन्युइन होनी चाहिए। Free downloading के बजाए paid site और paid downloading को चुने। आप अपने महत्वपूर्ण डांटा को पासवर्ड के जरिए सुरक्षित रखें (पासवर्ड अंकों एवं अक्षरों दोनों को मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए), ताकि हैकर्स द्वारा हैक ना किया जा सके।
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भारत का सबसे बड़ा साइबरअटैक
कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक के साइबर अटैक पर चर्चा करेंगे। जिसे भारत का सबसे बड़ा साइबर अटैक भी कहा जाता है। इतनी सिक्योरिटी ऑफ़ लेयर्स के बाद भी अटैकर्स ने इंडिया के सबसे बडे साइबर अटैक को अंजाम दिया।
Cosmos Bank भारत के पुराने सहकारी बैंकों में से एक है। यह 112 साल पुराना बैंक हैं। जिसका हेडक्वार्टर पुणे में स्थित है। 1.9 बिलियन डॉलर की Upward revenue के बाद यह भारत की 1st कोओपरेटिव बैंक में आता है। जिसने Core Banking System (CBS) को इम्प्लीमेंट किया था।
CBS का अर्थ निम्लिखित है :-
CBS (Core banking system) इन दिनों बैंकिंग में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। जिसका उपयोग Centralized Online Real-time Exchange के लिए किया जाता है। तकनीकी शब्दों में, कोर बैंकिंग “एक बैंकिंग सेवा है जो नेटवर्क वाली बैंक शाखाओं के समूह द्वारा प्रदान की जाती है जहाँ ग्राहक अपने बैंक अकाउंट को एक्सेस कर सकते हैं ” ग्राहक अपनी सुविधानुसार जब भी और जहां भी वे चाहते हैं, अपने अकाउंट को एक्सेस करने सक्षम बनते हैं।
साइबर अटैक के जरिए हैकर्स ने बैंक से 94 करोड़ रुपए विदेश के बैंक खातों में ट्रांसफर किए।
पुणे के कॉसमॉस बैंक मुख्यालय का डाटा हैक कर 94 करोड़ 42 लाख की चोरी का मामला सामने आया था। 11 व 13 अगस्त 2018 को इंटरनेशनल हैकर ने कॉसमॉस बैंक के सर्वर को हैक करने में कामयाब रहे। यह heist इंडिया में सबसे बड़े फ्रॉड में से था।
इन्वेस्टिगेटर्स इस बात से चौक जाते है की बैंक को यह सूचना CBS के द्वारा न मिल करके “VISA” व “SWIFT” जैसे पेमेंट सेटलमेंट प्लेटफार्म से मिलती है। हैकर्स ने कोर बैंकिंग सिस्टम को हैक करके इनैक्टिवटे कर दिया था। जिसके कारण बैंक को इन ट्रांसक्शन की सूचना देने में असफल रहा।
यह heist 11 August शनिवार के दिन अंजाम दिया गया। जिस दिन बैंक में कम कर्मचारी उपलब्ध रहते है जिसके, कारणवंश बैंक की अथॉरिटी को इसकी सूचना तुरंत न मिल पाई।
साइबर अपराधियों ने बैंक सर्वर हैक कर 15 हजार से भी जयादा ट्रांजेक्शन किए। हैकर्स ने कॉसमॉस को-ऑपरेटिव बैंक के मुख्यालय के एटीएम को निशाना बनाया। बैंक के अधिकारियों का कहना था, कि हैकर्स ने 80.5 करोड़ रुपए डेबिट कार्ड से, 14849 ट्रांजेक्शन के जरिए और 13.9 करोड़ रुपए स्विफ्ट ट्रांजेक्शन के जरिए विदेशी खातों में ट्रांसफर किए।
बैंक के अनुसार हैकर्स ने मालवेयर अटैक के जरिए घटना को अंजाम दिया। हैकर्स ने पहले मालवेयर अटैक के जरिए ग्राहकों के डेबिट कार्ड्स का डाटा चुरा लिया। डाटा मिलने के बाद अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया।
इस से यह पता चलता है की Malware अटैक कितना हानिकर हो सकता है। इससे बचने के लिए genuine वेबसाइट व सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करे।
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